ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में इस्लामिक स्टेट से जुड़े दो आतंकियों द्वारा यहूदी समुदाय से जुड़े लोगों पर की गई भीषण गोलीबारी ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में समुदाय के 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कई की हालत नाजुक बनी हुई है। घटना के बाद इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुट गई हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला उस समय हुआ जब यहूदी समुदाय से जुड़े लोग एक सार्वजनिक स्थल पर एकत्र थे। अचानक हुई फायरिंग से अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिससे बड़ी संख्या में लोग चपेट में आ गए। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया। शुरुआती जांच में इनके इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने के संकेत मिले हैं।
इस घटना के बाद एक बार फिर यहूदी समुदाय की सुरक्षा को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता गहरा गई है। बीते कुछ वर्षों में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में यहूदी समुदाय को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में असुरक्षा की भावना फैल रही है। कई देशों के नेताओं ने इस हमले की निंदा करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई है और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की है।
ब्रिटेनिका के अनुसार, यहूदी धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है। यहूदियों का सबसे पहला उल्लेख मिस्र स्थित मर्नेप्टाह स्टेले पर मिलता है, जो 1213-1203 ईसा पूर्व का माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से यहूदी समुदाय ने दुनिया के कई हिस्सों में प्रवास किया है। वर्ष 1945 से पहले अधिकांश यहूदी यूरोप में रहते थे, लेकिन समय के साथ उनके निवास के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया।
2023 के आंकड़ों के मुताबिक, पूरी दुनिया में करीब 1.5 करोड़ यहूदी रहते हैं। इनमें से लगभग 45 प्रतिशत इजराइल में निवास करते हैं। इजराइल के बाद सबसे अधिक यहूदी अमेरिका में रहते हैं, जहां उनकी संख्या लगभग 63 लाख है। सिडनी की इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि विविधता से भरी दुनिया में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को कैसे मजबूत किया जाए।

















