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बघरा दरगाहें आलिया परिसर के मजलीस के तीसरा दिन मजलिस का हुआ संपन्न।

भास्कर न्यूज़ उत्तर प्रदेश उत्तराखंड।

मुज़फ्फरनगर। बघरा दरगाहें आलिया परिसर के मजलीस का आज तीसरा दिन पहली मजलिस मौलाना शफी हैदर साहब ने पढ़ी ओर मौलाना ने कहा कि हमारे यहां बारह इमाम है, हमारे पहले इमाम हज़रत अली अ. स.है, हज़रत अली अ. स. ने कहा है कि नेक लोगो की सोहबत से भलाई मिलती है क्योंकि हवा जब फूलो से गुजरती है तो वो भी खुशबूदार हो जाती है,मौलाना ने कहा कि हमे जहा कही ज़ुल्म अत्याचार हो रहा हो तो ज़ालिम या अत्याचारी के विरुद्ध आवाज उठाना चाहिए। उन्होनें कहा कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. के अनुसार समाज के ग़रीब वंचित वर्ग पर ध्यान, अल्लाह के अधिकारों पर ध्यान है। इस्लाम ने कहा है कि हमारा ध्यान ग़रीबों पर होना चाहिये, ग़रीबों व वंचितों के लिए प्रयास किया जाना चाहिये, इमाम के कथनानुसार इस्लाम भी ग़रीबों व वंचितों से आरंभ हुआ है। मौलाना ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रहीसी की शहादत पर शोक संवेदना प्रकट की उन्होने कहा कि भारत और ईरान बहुत पुराने और गहरे मित्र देश है। ईरान के बाद विश्व मे सबसे अधिक शिया मुस्लिम भारत मे रहते है। आज ईरान में हमारा देश चाहबहार बंदरगाह विकसित कर रहा है।।चाबहार फ़ारसी शब्द चाहर से बना है जिसका अर्थ है चार; और बहार का अर्थ है वसंत। इसका अनुवाद एक ऐसे स्थान के रूप में किया जाता है जहां वर्ष के सभी चार मौसमों में वसंत होता है। चाहबहार बंदरगाह का बडा भूराजनीतिक महत्व है। जैसे ईरान के साथ व्यापार संबंधों, राजनयिक संबंधों और सैन्य संबंधों को बढ़ावा देना,भारत को पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान तक बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करना,यह अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का प्रवेश द्वार होगा जो रूस, यूरोप, मध्य एशिया, ईरान और भारत को जोड़ने वाले सड़क, रेल और समुद्री मार्गों का एक संयोजन होगा। जरूरत पड़ने पर भारत इस बंदरगाह से मानवीय अभियान चला सकता है। यह बंदरगाह पाकिस्तान में चीन द्वारा संचालित ग्वादर बंदरगाह से सिर्फ 170 किमी दूर है, इसलिए यह बंदरगाह भारतीय नौसेना और रक्षा प्रतिष्ठान के लिए रणनीतिक महत्व का होगा। उन्होने कहा कि हम भाग्यशाली है कि हम भारत मे पैदा हुए। भारत वासी होने पर हमें अत्यंत गर्व है,बाद में मौलाना ने हज़रत इमाम हुसैन (अ स.) के मसाहिब पढ़े जिसे सुनकर शिया सोगवार फूट फूट कर रोने लगे,दूसरो मजलिस मौलाना फसी हैदर साहब ने पढ़ी मौलाना ने कहा कि हम सब को धर्म से ऊपर उठकर लोगों की मदद करना है देश को विकसित राष्ट्र बनांने में पूरी ताकत झोंक देनी है क्योंकि हम हड़प्पा काल मे अत्यंत समृद्ध थे । हमारी नगरीय सभ्यता थी,अतः हम सब को
बहुत अधिक अनुसंधान और विकास पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना है बाद में मौलाना ने मोला अब्बास (अ. स.) की शहादत बयान की जिसे सुनकर सोगवार खूब रोये। इस मौके पर दरगाह सचिव इमरान अली, अध्यक्ष निसार अहमद, इंजीनियर आरिफ , रियासत अली, रिज़वान आदि मौजूद रहे ।

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