औरैया जिले में पंचनद तीर्थ क्षेत्र में यमुना तट पर स्थित प्राचीन कर्ण देवी मंदिर का रहस्य आज भी अनसुलझा है। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर में देवी मां का वास्तविक स्वरूप और नाम क्या है, इसे लेकर कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

इतिहास में दर्ज है कि मुगल आक्रांता बाबर और राणा सांगा के युद्ध में कनार राज्य ने मेवाड़ का साथ दिया था। युद्ध में कनार सेना के राजकुमार शहीद हो गए और राणा सांगा की हार के बाद बाबर ने कनार राज्य पर हमला कर दिया। इस दौरान उसने कनार के विशाल दुर्ग को तोप से क्षतिग्रस्त कर दिया और मंदिरों की मूर्तियों को तोड़ डाला। पुजारियों ने कुलदेवी की मूर्ति और शिवलिंग को कुएं में डालकर उनकी रक्षा की। 1978 में बाल संत बाबा बजरंगदास के यज्ञ के दौरान कुएं की सफाई कराई गई, तब देवी की अधूरी मूर्ति और दो विशाल शिवलिंग प्राप्त हुए, जो आज भी कर्ण देवी मंदिर में स्थापित हैं।
इस मंदिर को 2000 वर्ष से अधिक पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि जब उज्जैन में राजा विक्रमादित्य का शासन था, तब कनार पर महाराज सिद्धराज कर्ण राज कर रहे थे। वे अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध थे। मान्यता है कि विक्रमादित्य ने छद्म रूप में कनार राज्य में रहकर देवी द्वारा राजा को प्रतिदिन स्वर्ण दान किए जाने की प्रक्रिया देखी थी। देवी से वरदान प्राप्त करने के बाद विक्रमादित्य उज्जैन लौटने लगे, लेकिन महाराज कर्ण के आग्रह पर देवी ने अपना ऊपरी भाग उज्जैन और निचला भाग कनार में रहने दिया। इसलिए उज्जैन में हरसिद्धि माता और कनार में कर्ण देवी के रूप में देवी की पूजा होती है।
अदृश्य शक्तियों की अनुभूति
कर्ण देवी मंदिर को सेंगर क्षत्रियों की कुलदेवी के रूप में भी पूजा जाता है, हालांकि इसे लेकर प्रमाणिक तथ्य उपलब्ध नहीं हैं। यह देवी दुर्गा, काली या विंध्यवासिनी का स्वरूप हैं या कोई और शक्ति, इस पर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि रात में मंदिर और खंडहरों के आसपास अदृश्य शक्तियों का एहसास होता है। गलत इरादों से आने वाले लोग भयभीत हो जाते हैं, जबकि शुद्ध हृदय वाले भक्त सुरक्षा और आनंद का अनुभव करते हैं।
नवरात्रि में लगता है मेला
कर्ण देवी मंदिर औरैया, इटावा और जालौन के प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल है। वर्षभर श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि में यहां विशेष अनुष्ठान होते हैं। हजारों भक्त माता के दर्शन को शुभ मानते हैं और मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना यहां अवश्य पूर्ण होती है।