महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्माती नजर आ रही है, क्योंकि मुंबई महापौर चुनाव को लेकर महायुति गठबंधन में खटपट की अटकलें तेज हो गई हैं। मुंबई महानगरपालिका (BMC) पर नियंत्रण शिवसेना की ऐतिहासिक पहचान रहा है, और अब एक बार फिर यह मुद्दा राजनीतिक हलचल का कारण बन गया है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हाल ही में इस मसले पर काफी सक्रिय दिखाई दिए हैं। उन्होंने कहा कि महायुति में किसी भी तरह का विवाद नहीं है और सभी दल मिलकर मुंबई के विकास को प्राथमिकता देंगे। शिंदे ने यह भी स्पष्ट किया कि मेयर का चयन पारदर्शी तरीके से होगा और गठबंधन की सामूहिक सहमति से ही उम्मीदवार तय किया जाएगा।
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवसेना (शिंदे गुट) के भीतर मेयर पद को लेकर उत्साह अधिक है, क्योंकि BMC को शिवसेना की राजनीतिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। दूसरी ओर, भाजपा भी अपने संगठनात्मक प्रभाव के चलते इस पद पर अपनी मजबूत हिस्सेदारी चाहती है, जिससे गठबंधन के भीतर रणनीतिक समीकरण लगातार बदलते दिख रहे हैं।चुनाव की तैयारियों को देखते हुए एकनाथ शिंदे द्वारा की जा रही बार-बार की बैठकों ने इस मुद्दे को और महत्वपूर्ण बना दिया है। उन्होंने कहा कि मुंबई की जनता के हितों को सर्वोच्च रखा जाएगा और महायुति अपने वादों पर कायम रहेगी। शिंदे ने अटकलों पर विराम लगाते हुए यह भी कहा कि मीडिया में चल रही खटपट की खबरें निराधार हैं और गठबंधन पूरी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरेगा।मुंबई में मेयर कौन होगा—यह फिलहाल बड़ा सवाल बना हुआ है। लेकिन इतना तय है कि यह चुनाव न केवल शिवसेना की साख से जुड़ा है, बल्कि महायुति की राजनीतिक एकजुटता की भी अहम परीक्षा साबित होगा।

















