रूस के सामने आए दो चेहरे. पहले इजराइल के साथ लड़ाई में की मदद,

इजराइल युद्ध के दौरान रूस का ईरान के लिए खास सहयोग देखने मिला था. रूस ने इजराइल और अमेरिका के साथ ईरान की खुलकर मदद की थी, कुछ जानकारों का मानना है कि हमलों के बाद ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को रूस की मदद से फिर खड़ा कर रहा है.रूस का ईरान के साथ सहयोग सिर्फ सैन्य ही नहीं बल्कि कूटनीतिक भी है, जिसके तहत अब वह न्यूक्लियर डील की मध्यस्थता की बात कर रहा है.

रॉयटर्स के मुताबिक रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ईरानी समकक्ष के साथ परमाणु कार्यक्रम के विवादों में मध्यस्थता करने के मास्को के प्रस्ताव को दोहराया. लावरोव ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए ईरानी उप विदेश मंत्री अब्बास अराघची से मुलाकात की, जिसमें IAEA सुरक्षा उपायों के तहत परमाणु स्थलों पर हमलों सहित ईरान पर हाल ही में इजराइल और अमेरिका की ओर से किए गए हमलों की निंदा की गई. कुछ लोग मान रहे हैं कि रूस समझौते के लिए सही मध्यस्थ नहीं हो सकता है, क्योंकि वह ईरान का युद्ध में साथ देता रहा है.

रूस का ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को समर्थन

रूस ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और यूरेनियम एनरिच के अधिकार के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की और संभावित समाधान के हिस्से के रूप में ईरानी यूरेनियम को संग्रहीत करने की भी पेशकश की. हालांकि ईरान आधिकारिक तौर पर परमाणु हथियार बनाने के इरादे से इनकार करता रहा है, लेकिन जून में ईरान-इजराइल संघर्ष के बाद कई ईरान नेताओं ने कहा है कि उसकी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाने जरूरी है.

यूक्रेन कर रहा है ईरान के प्रोग्राम का विरोध

वहीं रूस का दुश्मन देश यूक्रेन ने 22 जून को कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म किया जाना चाहिए. यूक्रेन पहले भी ईरान की ओर से युद्ध में रूस को मिसाइल और ड्रोनों की सम्पलाई के आरोप लगाता रहा है. बयान में कहा गया था, “ईरान यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता के अपराध में शामिल है. ईरानी शासन रूस को सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें UAV और तकनीक की आपूर्ति शामिल है, जिसका रूस लगातार लोगों को मारने और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए उपयोग करता है.

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