छह लाख से ज्यादा आबादी एक रेडियोलाजिस्ट के भरोसेनई टिहरी। टिहरी जिले के सरकारी अस्पतालों में लाखों की लागत से संसाधन मुहैया तो कराए जा रहे, लेकिन इनका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है।
लगभग छह लाख से ज्यादा आबादी वाले जिले में मौजूदा समय में जिला अस्पताल बौराड़ी, उप जिला अस्पताल नरेंद्रनगर, 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप-बी और 49 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप-ए है, लेकिन इनमें एक ही रेडियोलॉजिस्ट है। वह सप्ताह में तीन दिन जिला अस्पताल बौराड़ी और तीन दिन उप जिला अस्पताल नरेंद्रनगर में सेवाएं देते हैं।
सीएचसी बैेलेश्वर, देवप्रयाग में पिछले नौ माह से और सीएचसी थत्यूड़ में चार साल से अल्ट्रासाउंड की सुविधा बंद है। ऐसे में मरीज प्राइवेट सेंटरों में जांच कराने को मजबूर हैं। तीनों अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड मशीन तो है, लेकिन यहां रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। इससे यहां जांच नहीं हो पा रही है, जिसका सबसे अधिक खामियाजा गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।जिला अस्पताल बौराड़ी, सीएचसी बैेलेश्वर और देवप्रयाग का बीते जून तक पीपीपी मोड पर हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल काॅलेज जौलीग्रांट संचालन कर रहा था। पीपीपी मोड पर अनुबंध समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य विभाग खुद ही अस्पतालों का संचालन कर रहा है। तब से अस्पतालों में रेडियोलाॅजिस्ट की तैनाती नहीं पाई। सीएचसी थत्यूड़ का 2020 में पीपीपी मोड में संचालन बंद होने के बाद वहां रखी लाखों की अल्ट्रासाउंड मशीन भी जंग खा रही है।
जिला अस्पताल बौराड़ी और उप जिला अस्पताल नरेंद्रनगर में रेडियोलाॅजिस्ट का एक-एक पद सृजित है, लेकिन दो पदों के सापेक्ष एक ही रेडियोलाॅजिस्ट की जिले में तैनाती है। सीएचसी बेलेश्वर, देवप्रयाग और थत्यूड़ का संचालन जब पीपीपी मोड में चल रहा था तब वहां अनुबंध के अनुसार अल्ट्रासाउंड मशीन क्रय की गई थी। जिले में एक और रेडियोलाॅजिस्ट की तैनाती करने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक को लगातार पत्र भेजा जा रहा है। -डॉ.मनु जैन, सीएमओ, टिहरी