जब आप किसी दवा की पत्ती (स्ट्रिप) को देखते हैं, तो कुछ पर लाल रंग की लाइन या बॉर्डर बनी होती है। ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ पैकेजिंग डिजाइन का हिस्सा है, लेकिन असल में इसका एक महत्वपूर्ण मेडिकल संदेश छिपा होता है।
दरअसल, लाल रंग की लाइन वाली दवाएं “Schedule H” या “Schedule H1” ड्रग्स के तहत आती हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए।
👉 क्या हैं Schedule H और H1 दवाएं?
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Schedule H दवाएं: ये ऐसी दवाएं हैं जिन्हें सिर्फ डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेचा जा सकता है।
उदाहरण: कुछ ऐंटिबायोटिक्स, हार्मोनल मेडिसिन, स्टीरॉयड आदि। -
Schedule H1 दवाएं: ये और भी संवेदनशील श्रेणी की दवाएं हैं। इन्हें बेचने पर फार्मासिस्ट को प्रिस्क्रिप्शन की कॉपी 3 साल तक रिकॉर्ड में रखनी होती है।
उदाहरण: नींद की गोलियां, कुछ शक्तिशाली ऐंटिबायोटिक्स और एंटी-ट्यूबरकुलोसिस दवाएं।
👉 लाल स्ट्रिप का उद्देश्य
यह लाइन लोगों को चेतावनी देने के लिए होती है कि यह दवा सिर्फ चिकित्सकीय सलाह पर ही लेनी चाहिए।
इस पर अक्सर लिखा भी होता है:
“Schedule H drug — Warning: To be sold by retail on the prescription of a Registered Medical Practitioner only.”
👉 क्यों जरूरी है यह जानकारी?
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इन दवाओं का गलत इस्तेमाल गंभीर साइड इफेक्ट्स या दवा प्रतिरोध (Drug Resistance) पैदा कर सकता है।
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इससे मरीज की सेहत पर उल्टा असर पड़ सकता है।
🔴 निष्कर्ष:
अगर किसी दवा की पत्ती पर लाल रंग की लाइन दिखे, तो समझिए कि यह खास और नियंत्रित दवा है। इसे बिना डॉक्टर की सलाह के कभी न लें। यह डिजाइन नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चेतावनी है।

















