सरकार ने संसद में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि अब तक इस योजना के अंतर्गत 9.84 करोड़ मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया, जिस पर कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह महत्वाकांक्षी योजना देश की लगभग 40% आबादी को सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने का दावा करती है, जिससे करीब 55 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचना है। अब तक 41 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी हो चुके हैं।
हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने योजना को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। IMA के अनुसार, निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से दूरी बना रहे हैं क्योंकि उन्हें भुगतान मिलने में अत्यधिक देरी होती है और प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। कई बार क्लेम प्रक्रिया में तकनीकी खामियों, दस्तावेज़ी औपचारिकताओं और बार-बार जांचों के कारण भुगतान अटक जाता है, जिससे अस्पतालों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।
IMA ने यह भी कहा कि अगर इन समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की भागीदारी और कम हो सकती है, जिससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को गंभीर नुकसान उठाना पड़ेगा। अब सरकार पर दबाव है कि वह न केवल योजना की पारदर्शिता बढ़ाए, बल्कि अस्पतालों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करे ताकि यह योजना अपने उद्देश्य को पूरी तरह हासिल कर सके।

















