सहारनपुर। नगर निगम द्वारा जारी गृहकर व जलकर से जुड़े जीआई सर्वे के खिलाफ सबसे पहले सार्वजनिक रूप से विधानसभा प्रभारी एवं समाजवादी पार्टी पार्षद टिंकू अरोड़ा ने मोर्चा खोला था। उन्होंने आम नागरिकों के साथ-साथ व्यापारियों को भी इस मुद्दे पर जागरूक किया और नगर निगम में धरना-प्रदर्शन कर निगम प्रशासन के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया।
हैरत की बात यह रही कि उस समय सहारनपुर का समूचा व्यापारी वर्ग, जो भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हुआ माना जाता है, टिंकू अरोड़ा के समर्थन में मैदान में उतरा था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही व्यापारी वर्ग पूरी तरह से शांत होकर अपने-अपने व्यापार में लग गया और जीआई सर्वे का विरोध पूरी तरह ठंडा पड़ गया।
सूत्रों के अनुसार, जिन व्यापारी नेताओं ने शुरू में सर्वे के खिलाफ आवाज बुलंद की थी, उनमें से कई के कार्यालय नगर निगम की नजूल संपत्तियों पर बने हुए हैं। उन्हें यह आभास हो गया था कि यदि वे अधिक मुखर रहे तो नगर निगम उनके कार्यालयों को भी खाली कराने की कार्रवाई कर सकता है।
यही नहीं, राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि भाजपा जनप्रतिनिधियों द्वारा कुछ व्यापारियों को ‘लॉलीपॉप’ दिखाकर शांत कर दिया गया। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन टिंकू अरोड़ा ने सवाल खड़ा किया है कि जिन व्यापारियों ने उनके साथ मिलकर विरोध किया था, वे अचानक क्यों चुप हो गए? क्या उन्हें दबाव में लाया गया या कोई सौदा हुआ?
टिंकू अरोड़ा ने दोबारा जनता से अपील की है कि वह जीआई सर्वे के खिलाफ अपनी आपत्ति अवश्य दर्ज कराएं, क्योंकि यदि यह सर्वे लागू हो गया तो नागरिकों को कई गुना टैक्स भरना पड़ेगा।
फिलहाल, जीआई सर्वे पर व्यापारी वर्ग की चुप्पी और प्रशासन की सक्रियता ने नगर राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब शायद आने वाले दिनों में सामने आए।
