कतरी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत कतर के साथ 12 सेकेंड हैंड मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के संभावित अधिग्रहण के बारे में बातचीत कर रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक, लड़ाकू विमान खरीदने को लेकर ये चर्चा शुक्रवार को दिल्ली में हुई है, जहां भारतीय अधिकारियों को कतर ने मिराज-2000 विमानों की वर्तमान स्थिति और ऑपरेशन क्षमताओं के बारे में जानकारी दी है।
कतर से सेकेंड हँड मिराज क्यों खरीदेगा भारत?
भारतीय रक्षा सूत्रों के हवाले से दोहा न्यूज ने लिखा है, कि लड़ाकू विगान बहुत अच्छी स्थिति में हैं, और उनका 80-85 प्रतिशत ऑपरेशनल लाइफ अभी भी बरकरार है। सूत्रों ने कहा है, कि कतर ने कथित तौर पर 12 विमानों के लिए लगभग 600,000 डॉलर का प्रस्ताव दिया है, लेकिन भारत अभी कीमत कम करवाने के लिए बातचीत करना चाह रहा है।कतरी मीडिया ने कहा है, कतर की कोशिश भारत को इन फाइटर जेट्स में लगने वाली मिसाइलों और अतिरिक्त इंजन बेचने की भी पेशकश कर रहा है और भारतीय रक्षा सूत्रों ने विस्तार से बताया है, कि ये विमान स्पेयर पार्टस के बजाय सक्रिय सेवा के लिए हैं।
यदि भारत का कतर के साथ समझौता हो जाता है, तो भारतीय वायु सेना के मिराज विमानों के बेड़े की संख्या 60 हो जाएगी। मिराज बेड़ा, भारतीय वायु सेना का मुख्य आधार रहा है और इसने कारगिल युद्ध और बालाकोट हवाई हमलों जैसे प्रमुख अभियानों को अंजाम देने में सेना की मदद की है। इसके अलावा, उत्तरी सीमा पर चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी सक्रिय रूप से शामिल रहा है।
भारतीय समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा सूत्रों ने कहा है, कि भारत अपने विमानों की भारतीय मिराज-2000 विमान बेड़े के साथ अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जो प्रस्तावित विमान से ज्यादा एडवांस है। एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारतीय और कत्तरी दोनों विमानों के इंजन एक जैसे हैं और अगर भारत उन्हें लेने का फैसला करता है तो सेवा के लिए उनका रखरखाव करना आसान होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय वायु सेना को कोविड संकट के दौरान एक फ्रांसीसी विक्रेता से सेकेंड हैंड सौदे में बड़ी संख्या में पुर्जे और उपकरण मिले थे।
भारत और कतर के संबंध कैसे हैं?
कतर और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है, जो 2023 में लगभग 11 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। भारत, कतर के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, खास तौर पर तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है।
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भारत कतर के लिए चौथा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य गाना जाता है। वहीं भारत, कतर को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, परिवहन उपकरण, लोहा, इस्पात, कीमती पत्थर, रबर, प्लास्टिक, उर्वरक और रसायन बेचता है।
कतर में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं, जिनमें 700,000 से ज्यादा भारतीय नागरिक हैं जो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और निर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में योगदान करते है।